रामदास स्वामींची आरती

आरती ब्रह्मचर्या। तेजे प्रताप सूर्या ॥

 श्रीराम दाशरथी। सौमित्र बंधुवर्या || धृ || 

निर्मल सत्व शुद्धी। लक्ष श्रीराम पदी ॥

 सर्व दायक रुप । निश्चल येक बुद्धी ॥

प्रमाण राम आज्ञा पाळीयेली त्वा सुज्ञा ॥ 

घेतले सेवा सुख। विचार पूर्ण प्राज्ञा ॥ 

आरती ब्रह्मचर्या। तेजे प्रताप सूर्या ||१||

 

द्वैत हा भाव नाही। राम सौमित्र नाही ॥

 धन्य हा कीर्ती घोष | देती सर्वत्र ग्वाही॥ 

सदूरु विप्र तुका । राम सौमित्र सखा ॥ 

कीर्तनी साध्य सदा। होवोनिया प्रेमपिका ॥ 

आरती ब्रह्मचर्या। तेजे प्रताप सूर्या  ||२||

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