पंढरीचा विठ्ठल
सदभावे आरती विठ्ठल तुज देवा | विटेवरल्या स्वामी उभया निजभावा ॥
भिमातिर वासी देवाधी देवा | करुणा सिंधु म्हणती राधा माधवा ॥
जयदेव जयदेव जय रुक्मिणी रमणा | वोवाळू आरती विठ्ठल समचरणा |
जयदेव जय देव || १ ||
पंचाग्नी मस्तकी मुकुट साजीरा | चरणी वाहे भीमा जगद् उद्धारा ॥
विष्णु वरल्या भूमी पंढरिया चक्रा | संत साधू योगे विश्रांती थारा ॥
जयदेव जयदेव जय रुक्मिणी रमणा | वोवाळू आरती विठ्ठल समचरणा |
जयदेव जय देव ||२||
सदभावे आरती देवाही केली | विनंती करी वस्तु अभंग पावली ॥
पितांबरे करा कृपा साउली | तुकाविप्र पदी त्रिभुवन वोवाळी ॥
जयदेव जयदेव जय रुक्मिणी रमणा | वोवाळू आरती विठ्ठल समचरणा |
जयदेव जय देव ||३||