आरती विश्वमाते | प्रीय विश्व श्री कांते | वोवाळू प्रेम भावे | निजानंद भरीते ||धृ ||
सर्वासी सुखकारी पापा टाप संहारी | दर्शने मोक्ष जोडे | काय वर्णु मी थोरी॥
प्रसन्न जयासी होणे | पद अक्षय देणे | माऊली सर्व जना | सर्वदा पूर्ण पणे ॥
आरती विश्वमाते | प्रीय विश्व श्री कांते | वोवाळू प्रेम भावे | निजानंद भरीते ||१||
आंनद सर्व काळे | देई प्रेम कल्लोळे | पहाया कृपा दृष्टी | करोंनीया सिंधू बोले ॥
सद्गुरू माय लक्ष्मी | काया वाचा मनोधर्मी | वोंवाळी विप्र तुका | नित्य अर्चनी नेमी ॥
आरती विश्वमाते | प्रीय विश्व श्री कांते | वोवाळू प्रेम भावे | निजानंद भरीते ||२||